मैं चली जाती दूर ,,, बहुत दूर
गर तुम बुरे होते
मैं आस का दीपक बुझाती
गर तुम बुरे होते
मैं नैनों की टकटकी लगाये
तुम्हारी बाट न जोहती
गर तुम बुरे होते
मैं अश्रु की धारा न बहाती
गर तुम बुरे होते
मैं तड़प तड़प के यूँ न बिलखती
गर तुम बुरे होते,,,,,
. .
. .
तुम इक बार तो याद करो
मैं प्यार बार बार करुँगी
तुम इक बार तो इज़हार करो
मै ज़िन्दगी कुर्बा बार बार करुँगी
तुम कह दो कि मेरे अपने हो
मैं तुम पे जान निसार करुँगी
तुम थाम लो हाथ इक बार
मैं सज़दे तुम्हारे
बार बार करुँगी। ………
गर तुम बुरे होते
मैं आस का दीपक बुझाती
गर तुम बुरे होते
मैं नैनों की टकटकी लगाये
तुम्हारी बाट न जोहती
गर तुम बुरे होते
मैं अश्रु की धारा न बहाती
गर तुम बुरे होते
मैं तड़प तड़प के यूँ न बिलखती
गर तुम बुरे होते,,,,,
. .
. .
तुम इक बार तो याद करो
मैं प्यार बार बार करुँगी
तुम इक बार तो इज़हार करो
मै ज़िन्दगी कुर्बा बार बार करुँगी
तुम कह दो कि मेरे अपने हो
मैं तुम पे जान निसार करुँगी
तुम थाम लो हाथ इक बार
मैं सज़दे तुम्हारे
बार बार करुँगी। ………
बहुत सुन्दर मनुहार
जवाब देंहटाएंबस एक बार स्वीकार करो ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण शब्द ...
dhanyavaad sabhi ka..
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