सोमवार, 20 अप्रैल 2020

हरियाली

सृजन कृत्य है वसुधा का
हरित रुप है धरा का
मौलिकता अभिव्यक्त कण कण में
अद्भुत प्राकट्य वसुंधरा का.

आज मनोहर रुप धरा, धरा ने
इन्द्रधनुषी रंगों को समस्त लगे सराहने
जल की बूंदें बरसेंगी घटा से
आये मेघ संग दामिनी प्रेम जताने.

मधुर राग से कूजे कोयल काली
तृप्त हुयी फूलों की डाली डाली
दिवस हुआ कब, रात भयी कब
हृदय उमंगित, भूली इक मतवाली.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें