गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

जीवन

जीवन

जीवन प्रतिबिम्ब है भावनाओ का
दिल से करी सेवाओं का
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में
मानवता से भरी कामनाओं का

पथ कठिन हो सकता है ये मगर
वो पथिक क्या जिसकी मुश्किल ना हो डगर
तटस्थ तो चट्टानें ही होती है
जीवन तो नाम है बसंती हवाओं का

आगे बढ़ो चलते रहो नित कर्म तुम करते रहो
सम्मान हो जहां मान हो किन्तु न कभी अभिमान हो
हो व्यस्तता, ना तटस्थता
जहां ज्ञान ही सर्वमान्य हो
तुम नींव हो इस देश की
इस बात का तुम्हे भान हो
तो अडिग रहो और दृढ रहो
आगे चलो चलते रहो। …

©Radhika Bhandari

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर ।
    बहुत प्रेरणादायक ।
    कमाल का हिंदी भाषा पर अधिकार ।
    शब्दों का चयन भी अति सुन्दर ।
    ऐसे ही लिखते रहो ।

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  2. Specially last peragraph...
    हो व्यस्तता न तठास्थाता
    जहाँ ज्ञान ही सर्वमान्य हो..
    ...बहुत अच्छा राधिका.. तुम भी यूँ ही आगे चलती रहो :) ।

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