रविवार, 9 मार्च 2014

यूँ ही……

यूँ ही……

कभी कभी पीछे मुड़ के देखूं तो
   ये अहसास झिंझोडे है ……
जो पल मैंने बिताये  तुम संग
   वे तो कितने थोड़े हैं ……
छोटी सी खुशियों  से लेकर
   बड़ी बड़ी मुस्कानो तक ……
तुमने कितने सुकूँ भरे पल
    मेरी ज़िन्दगी में जोड़े हैं ……
पर हर पल मुझको ये लगता
     मैं, तुमको क्या दे पाऊँगी
हर मंज़िल पे आकर
    जिसने राह में पाये रोड़े हैं ……


©Radhika Bhandari

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