अपने
अपनों की इस भीड़ में अपने ही बेगाने हैं
किस से दिल की बात कहें , सब दिल के ही अफ़साने हैं
दिखते नहीं आँखों को नज़ारे जो सपनो में आये
इस हकीकत भरी दुनिया में तो , सब रिश्ते अनजाने हैं
सपने बुन कर हमने देखा , तिनके उड़ उड़ जाते हैं
उड़ते उड़ते हमने जाना हम भी तो परवाने हैं
जो हम चाहें हमे मिले वो, ऐसे पल कम आते हैं
गीतों की सरगम ना बने जो, हम ऐसे ही तराने हैं
अपनों की इस भीड़ में अपने ही बेगाने हैं
किस से दिल की बात कहें , सब दिल के ही अफ़साने हैं
दिखते नहीं आँखों को नज़ारे जो सपनो में आये
इस हकीकत भरी दुनिया में तो , सब रिश्ते अनजाने हैं
सपने बुन कर हमने देखा , तिनके उड़ उड़ जाते हैं
उड़ते उड़ते हमने जाना हम भी तो परवाने हैं
जो हम चाहें हमे मिले वो, ऐसे पल कम आते हैं
गीतों की सरगम ना बने जो, हम ऐसे ही तराने हैं
©Radhika Bhandari
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