मंगलवार, 1 जुलाई 2014

लगता है ?


तू मेरे रूबरू हो न हो 
तेरी याद में बिताया वक़्त 
अपना सा गुजरता है 
तुझे महसूस करके आज भी 
होती हैं ऑंखें नम 
तेरा साया भी मुझसे 
लिपट के गुजरता है 
जो खामोशियाँ मेरे दिल की 
जुबाँ बन गई 
आज भी मन उन गूँजों के 
दरमियाँ गुजरता है 
कभी तन्हाई में सोच सको 
तो सोच लेना 
मेरे सिवा तुझे क्या कोई 
अपना सा लगता है ???????

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