सोमवार, 17 मार्च 2014

कैसे खेलूँ कान्हा संग होरी

कैसे खेलूँ कान्हा संग होरी

रंग कौन लगाये मोहे
हौले हौले  चोरी चोरी
नैनों से  बतियाँ कर ले जो
अधरों में मुस्कान  हो थोरी
लाल हरे नीले रंगों से
सारी कौन भिगोये मोरी
        कैसे खेलूँ कान्हा संग होरी
मीठी मीठी बातें बोले
और एकदम से बांह मरोरे
भर के अपने आलिंगन में
रंग दे तन की बगिया ये … कोरी
      कैसे खेलूँ कान्हा संग होरी।।।।।।

©Radhika Bhandari

1 टिप्पणी:

  1. Woww,,....what a choice of words & language...!!
    Brij ke lokgeet yaad aa gaye :) !!
    Superb stuff. You have written it , It is so very expressive that we can understand each & every word.

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