रविवार, 9 मार्च 2014

ख्वाब

ख्वाब

मै अधूरा सा इक ख्वाब हूँ
जिसे जिन्दगी की तलाश है
जिसे रूप है मिला मगर
किन्ही खुश्बुओं की तलाश है ……

कभी आँख में बंधकर रहा
कभी मन से यूँ ही उतर गया
कभी इस घड़ी कभी उस घड़ी
मेरा कारवाँ सूना गुजर गया ……

कभी आएगा जो वक़्त मेरा
मै इक हकीकत बन जाऊँगा
गूँजता रहे जो जेहन में सबके
मै ऐसी धड़कन बन जाऊँगा ……      
©Radhika Bhandari

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