राष्ट्रभाषा हिंदी
हिंदी हमारी भाषा है, हम हिंदी भाषी हैँ
देवनागरी लिपि है जिसकी, हम इसके अभिलाषी हैँ।
अभिनन्दन करते हैँ हम जब, गौरव भी प्रतीत करे
आओ हम सब मिलकर क्यो ना निश्चय यह नवनीत करें।
महादेवी के गिल्लू ने स्थान हृदय मे बनाया था
प्रेमचंद की ईद गाह के चिमटे ने असर दिखाया था।
दिनकर जी की रश्मीरथी ने कृष्णा का क्रोध जताया था
पंत सुमित्रानन्दन ने हिंदी गरिमा को बढ़ाया था।
जैशंकर प्रसाद ने दी थी कामयानी हमें अति गूढ़
सूर्यकांत 'निराला' की कविता करती किंकर्त्तव्यविमूढ ।
जबसे हम हैँ पैदा होते भाषा होती अभिन्न सा अंग
फिर क्यो हैँ हम करते रहते , अपनी ही भाषा से जंग
चलो सुनाएं फिर हम सब गाथा इस हिंदुस्तान की
हम हिंदी भाषी हैँ, भाषा है ये हिंद महान की।
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