बुधवार, 15 जनवरी 2014

चाह

चाह 

कभी मन ये करता ..... कि सागर से खेलूँ
        कभी ऊंची ऊंची …घटाओं को छू लूं
कभी दिल मचलता पवन को पकड़ लूं
     कभी बरखा रानी की बूंदों को छू लूं
कभी  भाव उठते और आँखें बरसती
    कभी सैकड़ों उलझने आ अटकतीं
कभी मन हो चंचल     कभी ठहरा पानी
कभी प्रेम की सूनी अतृप्त कहानी
      है सारी ये बातें अब मन से मिटानी  
कहीं रेत को भी,,,,, क्या मिलता है पानी ???????

©Radhika Bhandari

इंकार

इंकार 

मै इश्वर का सौतेला बच्चा  हूँ .... 
झूठ बहुत है संसार में 
… पर मै जाने क्यूँ सच्चा हूँ 
हाँ मै इश्वर का बच्चा हूँ 
लाखों परिपक्व चालें फैली समाज में 
… पर मै जाने क्यूँ  कच्चा हूँ
 हाँ  मै इश्वर का बच्चा हूँ
बहुत लिखता है वो हरेक के नसीब में …
        पर मै छूट जाता हर बार 
झलक देख कर मेरी वो … 
       कर देता खुशियां देने से इंकार 
हर एक कर जाता जीवन की नदिया पार 
पर डूब जाती मेरी ही नाव.........  हर बार 
 सब के लिए उसने रखे अनेक उपहार 
         पर मुझे दिया अंधेरों का संसार 
मै जाने क्यूँ रखता आस अपार 
      और हो जाते हर बार मन के तार ,,, तार-तार 
अजब सी उलझन , नहीं दिल में कोई करार 
बस एक तमन्ना इस सौतेले को भी
          दे दो थोडा सा प्यार 
              थोडा सा प्यार  

©Radhika Bhandari

बुधवार, 8 जनवरी 2014

बहार

बारिश 

नन्ही सी धूप.....  कितनी खुशियां लाई
बारिश की बूंदों में हरियाली थी छाई
टुकुर टुकुर ताक रहा नन्हा सा मेंढक
खुशबु भरी हवाएं उसे बाहर जो ले आई ....

बहार 

बूंदों में भी एक साज़ है
मन को छू  जाए ऐसी आवाज़ है
बहारों में झूमे कलियाँ मुस्कुरा के
तिनके के दिल में भी कुछ राज़ है …
टिप टिप करके गिरती ....  इठलाती बलखाती
कभी पत्तों को छूती
कभी शाख से नैना मिलाती …
बूँद की  कहानी का ये आगाज़ है
सूरज कि किरण से जुड़ जाने को
मन में ना ऐतराज़ है …
इंद्रधनुषी रंगों का असर
लगता कुछ ख़ास है
इसलिए मन कुछ लिख बैठा … क्यूंकि दिल की भी तो.…  .इक  आवाज़ है !!!!!

©Radhika Bhandari



प्रेरणा

प्रेरणा 

नित्य नवीन आशाओं का सूरज …   जगमग जगमग करता है
प्रथम किरण का कण कण हमको …   प्रेरित करता चलता है
पवन है कहती उठो …   बहो.…    अब.… निर्मल मन से ध्यान रहे
मन गंगा सा पावन हो …  और ध्येय का तुमको ज्ञान रहे
भौतिक सुख को लक्ष्य बनाकर …पग पग आगे बढ़ता है…
आध्यात्मिक उत्थान के लिए…  क्या तू चिंता करता है ???
जीवन है अनमोल बड़ा यह.… समय व्यर्थ क्यूँ करता है। …
ध्यान रहे सम्मान यहाँ …  उगते सूरज को मिलता है।!!!!

ख़ुशी 

इक बूँद … कितनी आशाओं का इंद्रधनुष बना देती है …
हर मन के सात रंगों को जगा देती है.…
आओ हम सब इनमे सराबोर हो जाएँ …
क्यूंकि खुशियां ही खुशियों को पनपने का मौका देती हैं …

©Radhika Bhandari



रविवार, 5 जनवरी 2014

आम आदमी की कहानी

आम आदमी की कहानी 


तमन्नाओं के सागर में उम्मीदों की नदी जैसे मिलती है 
वैसे ही एक आम इंसान की ख्वाहिशे दुनिया से जुड़ती हैं 
दिन ब दिन बढ़ते घोटालो के साये 
कसमसाती जिंदगी को उलझनो से भर जाते हैं 
बत्तीस से अट्ठाईस तक घट जाए वो रोज़ाना की कमाई … आँखों में आंसू लाते है
और इरादे नाकाम मंज़िलो कि तरह.…  हौसले  बुलंद से...  चूर चूर हो जाते हैं !!!!!!!!

चिल्लर की कमी हम सबको बड़ा सताती है 
सिक्के सिक्के जमा  करने की वो कहानी याद आती है 
महँगाई की मार नश्तर बहुत चुभाती  है 
जिंदगी की जंग.…  आँखों को नम कर जाती है 


…कह्ते है किसी को  मुकम्मल जहां नहीं मिलता 
हर इंसा में खुद का अक्स नहीं मिलता। .... 

©Radhika Bhandari