बुधवार, 15 जनवरी 2014

इंकार

इंकार 

मै इश्वर का सौतेला बच्चा  हूँ .... 
झूठ बहुत है संसार में 
… पर मै जाने क्यूँ सच्चा हूँ 
हाँ मै इश्वर का बच्चा हूँ 
लाखों परिपक्व चालें फैली समाज में 
… पर मै जाने क्यूँ  कच्चा हूँ
 हाँ  मै इश्वर का बच्चा हूँ
बहुत लिखता है वो हरेक के नसीब में …
        पर मै छूट जाता हर बार 
झलक देख कर मेरी वो … 
       कर देता खुशियां देने से इंकार 
हर एक कर जाता जीवन की नदिया पार 
पर डूब जाती मेरी ही नाव.........  हर बार 
 सब के लिए उसने रखे अनेक उपहार 
         पर मुझे दिया अंधेरों का संसार 
मै जाने क्यूँ रखता आस अपार 
      और हो जाते हर बार मन के तार ,,, तार-तार 
अजब सी उलझन , नहीं दिल में कोई करार 
बस एक तमन्ना इस सौतेले को भी
          दे दो थोडा सा प्यार 
              थोडा सा प्यार  

©Radhika Bhandari

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