मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

होली

होली

बसंती रंग छाये चहुँ ओर
जैसे वसुधा पर आई हो अभी भोर
तन मन सबके हो रहे भाव विभोर
कान्हा की अठखेलियों का है ज़ोर

टेसू पलाश के फूलो से परिपूर्ण वसुंधरा
सारा संसार हो गया है हरा भरा
ईश्वर का छाया है वरदान
राधिका के मन में बसे हैं कन्हैया भगवान

ब्रज की गलियों में उड़ते हैं अबीर गुलाल
नटखट गोप गोपिकाओं का है सारा धमाल
खेल रहे हैं नौजवान और सारे बाल गोपाल
ऐसी उमंग ऐसा उल्लास  ना देखा पूरे साल

ये टोली और वो टोली
भरी रंगों से पिचकारी है
तुमने हमको रंग लिया
अब तो हमारी बारी है.…………  होली है। ....... 

©Radhika Bhandari

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