तुम्हारे बगैर
इक इक पल रुखसत किया मैंने ….... तुम्हारे बगैर
तूफ़ानो का सामना किया मैंने ….... तुम्हारे बगैर
तमन्नाओं का समुंदर बनाया मैंने ….... तुम्हारे बगैर
ख़ास नहीं थी पर खुद को चाहा मैंने ….... तुम्हारे बगैर
एहसास दर्द का हर पल किया ….... तुम्हारे बगैर
तन्हा मुसाफिर की तरह …....मंज़िल कि ओर चली ....... तुम्हारे बगैर
हर पल सुकूँ ये…… की तुम मिलोगे…मै चलती रही ….... तुम्हारे बगैर
और अब जब तुम हो सामने ……मै ही खुद से चल पड़ी अकेले …… सबसे अलग ….... तुम्हारे बगैर
©Radhika Bhandari
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