सोमवार, 17 मार्च 2014

गौरैया

गौरैया

एक छोटी सी गौरैया आकर मुझको रोज़ हँसाती है
चेहरे की पहली  मुस्कान सी बनकर
जब वो मेरे आँगन में आती है
दाना चुग कर चूँ चूँ करके वो थोडा इठलाती है
फुर्र करके फिर ,,,फिर वो उड़ती दाना लेकर जाती है
रोज़ सवेरे मुझसे उसका क्या रिश्ता हो जाता है
दाना ना रखा हो तो  क्यों, उसका मुँह बन जाता है
फुदक फुदक के इधर उधर वो शरमाती बलखाती है
ज्यों दाना रख दूँ ,,तो चुग के सर्र सर्र उड़ उड़ जाती है
मेरा उस से क्या रिश्ता है ये मुझको मालूम नहीं
पर उसके आने की  चाहत मन को छूकर जाती है
 छोटी सी गौरैया आकर मुझको रोज़ हँसाती है.…।

©Radhika Bhandari

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