कभी समंदर में बसेरा
कभी उड़ती हवाओं में
कभी पेड़ की डाली
कभी घूमती फ़िज़ाओं में
कभी तनहा तनहा
कभी मुस्कुराती
कभी आँख आंसू
कभी खिलखिलाती
कभी मद्धम मद्धम
कभी जोर से … दौड़ जाती
ज़िन्दगी की यही
बस अपनी कहानी
कभी ऑंखें शबनम
कभी इनमे पानी
कभी उड़ती हवाओं में
कभी पेड़ की डाली
कभी घूमती फ़िज़ाओं में
कभी तनहा तनहा
कभी मुस्कुराती
कभी आँख आंसू
कभी खिलखिलाती
कभी मद्धम मद्धम
कभी जोर से … दौड़ जाती
ज़िन्दगी की यही
बस अपनी कहानी
कभी ऑंखें शबनम
कभी इनमे पानी
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