क्यों होता है ऐसा
कि जब अहसास होता है
तब तुम नहीं होते
और जब तुम होते हो
तो कोई अहसास ही नहीं होता……
कैसा ये ख्वाहिशों का सिला है
जब तुम्हे चाहा .......
गम ही मिला है
ना मुकद्दर में हो
ना हकीकत में
फिर भी कुछ तो है
जो हममे जुड़ा है ....
जो हममे जुड़ा है
कि जब अहसास होता है
तब तुम नहीं होते
और जब तुम होते हो
तो कोई अहसास ही नहीं होता……
कैसा ये ख्वाहिशों का सिला है
जब तुम्हे चाहा .......
गम ही मिला है
ना मुकद्दर में हो
ना हकीकत में
फिर भी कुछ तो है
जो हममे जुड़ा है ....
जो हममे जुड़ा है
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