शुक्रवार, 21 अगस्त 2015

क्यों होता है ऐसा

क्यों होता  है  ऐसा
कि जब अहसास होता है
तब तुम नहीं होते
और जब तुम होते हो
तो कोई अहसास ही नहीं होता……
कैसा ये ख्वाहिशों का सिला है
जब तुम्हे चाहा .......
              गम ही मिला है
ना  मुकद्दर में हो
ना  हकीकत में
फिर भी कुछ तो है
जो हममे जुड़ा है ....
        जो हममे जुड़ा है 

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