काश इन सपनो को
कोई पकड़ पाता
अपने दिल के दरो दिवार पर
बखूबी सजाता
शान से उन पर
वो नज़रें फिराता
एकबारगी ही सही
अपनी किस्मत सराहता
चुन लेता उनमे से
जो ख्वाहिश में आता
बगीचे के फूलों
की तरह अपनाता
मुकद्दर को लेकिन
नहीं जश्न भाता
कभी पल सुनहरे
कभी है सताता
कभी तपती रेतों में
दे देता दरिया
कभी छाँव के पेड़
भी है गिराता
चलो अब तो खोलो
तमन्ना का खाता
भरो उनमे जी भर के
खुशियों की गाथा
कोई पकड़ पाता
अपने दिल के दरो दिवार पर
बखूबी सजाता
शान से उन पर
वो नज़रें फिराता
एकबारगी ही सही
अपनी किस्मत सराहता
चुन लेता उनमे से
जो ख्वाहिश में आता
बगीचे के फूलों
की तरह अपनाता
मुकद्दर को लेकिन
नहीं जश्न भाता
कभी पल सुनहरे
कभी है सताता
कभी तपती रेतों में
दे देता दरिया
कभी छाँव के पेड़
भी है गिराता
चलो अब तो खोलो
तमन्ना का खाता
भरो उनमे जी भर के
खुशियों की गाथा