मेरे कानों में पड़ी वो सरगम पहली
तुम्हारी धड़कन ही तो थी
भ्रूण रूप में मेरे निकटतम
माँ तुम ही तो थी
जीवन का मधुर संगीत
तुम्हारी लोरी ही तो था
प्यार का पहला अंकुर
तुम्हारा स्नेह ही तो था
ममता , दुलार की अतिश्योक्ति
माँ तुम ही तो थी
श्रृंगार का उत्तम उदाहरण
तुम्हारा चेहरा ही तो था
अनेको मातृत्व के भाव
तुम्हारी गरिमा ही तो थी
तुम्हारे स्नेह में सिमटी
बढ़ के नवयुवती बनी
मेरे जीवन की उज्जवल चांदनी
माँ तुम ही तो थी
पराई हो जब गई पिया के देस
याद जिसकी आई प्रथम
माँ तुम ही तो थी
शिशु जब अाया मेरे आँचल में
मैंने दुलराया … इक आंसू भी गिर आया
उन समस्त मिश्रित भावों में
माँ तुम ही तो थी
आज मुझे फिर
तुम्हारे हाथों का स्पर्श चाहिए
कुंदन सी मुस्कान भर दे
मेरे जीवन में
प्राणो का संचार
वो फिर चाहिए
तुम हर पल में मेरे ह्रदय विराजित हो
जीवन दायिनी शक्ति बनकर
मै स्वयं बालिका जिसके समक्ष
बनना चाहती
माँ तुम ही तो थी
माँ तुम ही तो हो
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