आस
स्वरों के आकाश नीचे, भावनाओं का जहां बसाने
अकेले थे अपनी राह पर ,थोड़ा ठहरने की चाह पर
मगर न कोई साथ था, ना कोई अासरा
पर हम बढ़ चले थे दुनिया बनाने …
तमन्नाएँ बहुत थी, चाहत असीम , अनंत
पर तुम न थे साथ हमारे
हम तो मुस्कुरा कर तुम्हारी यादों के सपनो को
मन के झूले में झुलाकर, चल पड़े थे राह पर
तुम्हारे लिए खुशियों की सेज़ बिछाने
मेरे तुम्हारे प्यार का जहां बसाने ………
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