मेरा अपना
इक टूटे किनारे की तरह -
जिसके पास है सब कुछ
हरियाली , ज़मीन और पानी का बहाव
पर सब बेजान , नितांत निर्जन
मैं बैठी उदास।
न हंसने की तमन्ना , न रोने की चाहत
न खोने का ग़म , न पाने की ख़ुशी
कहीं दूर अकेली मैं
सिमट कर रह गई हूँ
जाने कितना कुछ सोचा
न जाने कितना कुछ पाया
अहसास की दुनिया में
नाकाम हुई तो बस
इंसानो की महफ़िल में
ये दर्द नहीं देता कोई तड़प
यही तो एक तड़पन है
है प्यास ज़हर की मुझको
पर ये अमृत का अपनापन है…कि वो मिलता है मुझे खुद से
मैं दूर कहीं बैठी
सबसे जुदा जुदा
हैं नज़दीक सभी मेरे
पर पास, कोई नहीं मेरा
और जिसे चाहती मैं
वो दूर.… क़हीं दूर
क्या है --- कोई मेरा ?
इक टूटे किनारे की तरह -
जिसके पास है सब कुछ
हरियाली , ज़मीन और पानी का बहाव
पर सब बेजान , नितांत निर्जन
मैं बैठी उदास।
न हंसने की तमन्ना , न रोने की चाहत
न खोने का ग़म , न पाने की ख़ुशी
कहीं दूर अकेली मैं
सिमट कर रह गई हूँ
जाने कितना कुछ सोचा
न जाने कितना कुछ पाया
अहसास की दुनिया में
नाकाम हुई तो बस
इंसानो की महफ़िल में
ये दर्द नहीं देता कोई तड़प
यही तो एक तड़पन है
है प्यास ज़हर की मुझको
पर ये अमृत का अपनापन है…कि वो मिलता है मुझे खुद से
मैं दूर कहीं बैठी
सबसे जुदा जुदा
हैं नज़दीक सभी मेरे
पर पास, कोई नहीं मेरा
और जिसे चाहती मैं
वो दूर.… क़हीं दूर
क्या है --- कोई मेरा ?
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