हिंदी मेरी शान
भावनाओं की अभिव्यक्ति को प्रस्तुत करती आई हैं मेरी कविताएं और मेरे लेख। वार्तालाप का पहला पुष्प पल्लवित ही हिंदी के साथ हुआ क्योंकि यह मेरी मातृभाषा है। मेरे जीवन के अनेकों क्षण जिसमें उतार-चढ़ाव, सुख-दुख इत्यादि शामिल थे सभी प्रत्यक्षतः पन्नों पर हिंदी द्वारा ही अवतरित हुए।
मां के आंचल जैसी छांव देती है मुझको हिंदी। मेरे अश्रुओं की धारा को भी कविता बनाती है हिंदी, तो कभी मेरी खिलखिलाहट के रंग उकेरता लेख।
हिंदी हिंद की भाषा है और मैं गौरव महसूस करती हूं इस भाव प्रकट करने का अवसर देने वाली मेरी मातृभाषा पर। कलम चलता है मेरा निर्विरोध समस्त अक्षरों व व्यंजनों को लेकर और जैसे मेरा राष्ट्र सर्व धर्म समभाव की भावना से ओतप्रोत तेजस्वी है उसी प्रकार हिंदी भी अनेकों समन्वय स्वयं में लेकर गरिमामय है।
मेरे विचारों का कार्यस्थल मेरी मातृभाषा से ही सशक्त हुआ और हिंदी ने मुझे दी एक पहचान।
जीवन के अनेक पक्षो मे
एक होता है भावों की अभिव्यक्ति
मातृभाषा ही देती है
उन्हें व्यक्त करने की शक्ति
जब रोता है नन्हा बालक
मातृभाषा में ही बिलखता है
उसके टूटे शब्दों में भी
प्रेम अपनी भाषा का छलकता है
राधिका भंडारी
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