रविवार, 9 जनवरी 2022

कभी रात को शबनम बरसते देखा है

 Late night musings


कभी रात को शबनम बरसते

 देखा है तुमने !! 

ऐसा लगता है जैसे अंधेरे में 

आंखें नम हो बरस गई... 

एक भीगी सी चादर 

जैसे तन से लिपट गई हो.. 

रूह को गम की तपिश से 

जुदा करने को !! 

कई ख्वाब..जो दिन में बने थे .. 

कुछ छूटे, कुछ टूटे 

और हकीकत बन.. कुछ सच हो गए

 उन्हीं टूटे सपनों को .. 

आसमान में सितारा बनते 

देखती हूं ... 

जिन्हें पाना चाहती ... पर.. 

पा नहीं सकती .. 

छूना चाहती .. पर.. 

छू नहीं सकती .. 

सिर्फ मुस्कुरा सकती हूं .. 

उनको अपना समझकर !! 

मेरे खयालों की चादर में .. 

ना जाने कितने ऐसे सितारे हैं .. 

जो टिमटिमाए .. 

और सूरज भी बन गए.. 

 और कुछ दूर कहीं .. 

ओझल भी हो गए .. 

उन्हीं अनेकों सूरज में से .. 

एक तुम हो..जिसे मैंने .. 

संभाला है धड़कन की तरह.. 

कि तुम हो ...तो मैं हूं 

तुम नहीं ...तो मैं कहां 

राधिका भंडारी ©

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