रविवार, 9 जनवरी 2022

कुछबातें‌अधूरी सी

 *कुछ बातें अधूरी सी*

रह जाती है सीने में धड़कन बनकर

 जो कही नहीं जाती ...कुछ बातें अधूरी सी 

जुबां पर आते-आते हलक में ही रुक जाती हैं 

जो बयां नहीं होती ... कुछ बातें अधूरी सी 

तुम्हें देख कर मुस्कुरा दें, या खोने की याद में रो दे 

वो समझ नहीं आतीं ... कुछ बातें अधूरी सी 

यकीनन खुदा ने खेला था मजाक कि सफर साथ मुकम्मल ना हुआ 

जो मंजिल तक करनी थी ना कर पाए ...कुछ बातें अधूरी सी 

वो जो पानी में पत्थर फेंक कर बनाते थे तरंगे 

पानी से गुस्ताखियां, बद्दुआओं में दे गई ....कुछ बातें अधूरी सी 

जमाने की नजरों में हासिल थे तुम मुझे और मैं तुम्हें 

पर कहीं शायद हम दोनों के बीच रह गई ....कुछ बातें अधूरी सी 

कुछ बातें अधूरी सी 

कुछ बातें अधूरी सी....

राधिका भंडारी

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