रविवार, 9 जनवरी 2022

मातृभूमि

 सैंतालिस के तुमुलनाद ने 

गर्वित किया था जन-जन को 

बिगुल बजे थे बजे नगाड़े 

हर्ष हुआ था सब मन को 


आजादी का स्वप्न सुनहरा 

अब जाकर संपूर्ण हुआ 

दिया था हंसते-हंसते जीवन 

वह बलिदां अब पूर्ण हुआ 


यूं ही नही मिली स्वभूमि 

कण कण का रंग लाल हुआ 

वीरों के अनगिनत प्रयास से 

चमक सिंदूरी भाल हुआ 


फिर प्रण किया था  मिल कर सबने

अब ना होंगे कभी विभाजित

दुश्मन आएगा जो , डटकर 

कर देंगे हम उसे पराजित 


यह धरती है माता सबकी 

इसका हम सम्मान धरें

जांत पांत का भेद भुलाकर 

मानवता का मान करें 


है दिवस यह हिंद धरोहर 

हरदम रखना इसका ध्यान 

नैतिकता का पतन हुआ जो 

आंच में आएगा सम्मान 


उठो देश के वीर जवानों 

रग रग में लोहा भर लो 

मातृभूमि के शान की रक्षा 

का अब तुम सब प्रण कर लो

राधिका©

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